साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा निरंतर रचना पाठ शृंखला में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध साहित्य के अंतर्गत , भोपाल में ‘महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य’ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह जी का व्याख्यान

साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल द्वारा निरंतर रचना पाठ शृंखला में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध साहित्य के अंतर्गत दिनांक 26 दिसम्बर, 2019 को सायं 6.00 बजे स्वराज संचालनालय सभागार, भोपाल में 'महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य' विषय पर वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने अपना व्याख्यान26 दिसम्बर, 2019 को सायं 6.00 बजे स्वराज संचालनालय सभागार, भोपाल में 'महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य' विषय पर वरिष्ठ पत्रकार एवं सम्पादक श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने अपना व्याख्यान दिया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता  वरिष्ठ कथाकार श्री मुकेश वर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत एवं आभार अकादमी के निदेशक श्री नवल शुक्ल ने किया।श्री पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने अपने व्यख्यान में कहा कि युवा पीढ़ी में गांधी लगातार प्रासंगिक होते जा रहे हैं। देश की कठिनाइयों, समस्याओं का समाधान गांधी के विचारों से संभव है। 150वें जन्म वर्ष में युवा पीढ़ी गांधी के प्रति समर्पित हो रही है। यह फायदा है गांधी के 150वें जन्म वर्ष का। आज गांधी के विचारों पर चर्चा हो रही है।गांधी ने रचनात्मक विचार रखें, जब अंग्रेजी राज था कि किस तरह देश को आजाद कराया गया स्वंतंत्रता समानता कैसे आये। गांधी केवल अंग्रेजों से स्वतंत्रता नहीं चाहते थे बल्कि देश कितने प्रकार की सामाजिक कुरीतियों, मानसिक, आर्थिक भावनात्मक गुलामी से स्वंतंत्रता मिले। उनकी अहिंसा का मतलब कोई ऐसा कार्य न करें कि समाज को किसी प्रकार का नुकसान न हो। मूल्य व सिद्धान्त समानता स्वतंत्रता के रचनात्मक कार्यों, उनके सैद्धांतिक पक्ष को आगे बढ़ाने के लिए। हम गांधी के रचनतकमकता में कुछ घटा नहीं सकते बल्कि बढ़ा सकते हैं। उनकी रचनतकमकता को हम समझ नहीं पाए और न व्यवहार में ला पाए। उनके रचनात्मक कार्य मुँह बाये बैठे हैं कि हमको आप अपने जीवन मे उतारेंगे। गांधी के लगभग 18 रचनात्मक कार्य थे। कौमी एकता, अस्पृश्यता, शराब बंदी, खादी, लघु कुटीर उद्योग जैसे रचनात्मक कार्य थे गांधी के।आज शराब के अलावा भी कई नए नशे हैं। नशे में कार्य करने से विचार शून्यता आती है। उनके विचार से नशा विकास में बाधा है। सोशल मीडिया एक नशा जिसने स्वयं अपने बारे में युवा पीढ़ी ने सोचना छोड़ दिया।गांधी जी के विचार नई तालीम बुनियादी तालीम में बच्चों के शारीरिक मानसिक विकास होना चाहिए। देश और समाज के बारे में जानें और देश देश के विकास में उनकी भूमिका होना चाहिए। शिक्षा अपने पैरों पर खड़ा होने की छमता पैदा होना चाहिए। बच्चों में आज सामाजिक राजनैतिक नेतृत्व का विचार शून्य होता जा रहा है।मुकेश वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज देश में कोई ऐसा विषय नहीं है जिसे गांधी ने छुआ न हो। एक नए तरीके से हर विसय को उन्होंने देखा। उनकी दृष्टि विराट थी। हर विषय वस्तु के बारे में बात कही। गांधी के जीवन को दो दृष्टि से देखता हूँ स्वराज-स्वावलंबन। यह पातें हैं कि 20वी सदी से बड़ी घटना देश दुनिया में बढ़ी है। हम सबका प्यारा था उनसे बहुत उम्मीदें थीं। हर समस्या के लिए गांधी के पास गए। वह हमारी श्रद्धा के विषय है। गांधी की पूजा की। लेकिन सामाजिक स्थितियों के कारण एक भाव से उनके पीछे पाखंड का जन्म हुआ।


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