गायन, वादन एवं नृत्य पर केंद्रितश्रृंखला 'उत्तराधिकार' में 'निमाड़ी गायन'और 'भारिया जनजातीय नृत्यों' की प्रस्तुतियाँ




भोपाल| मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय मेंगायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों पर केंद्रितश्रृंखला 'उत्तराधिकार' में आज 'निमाड़ी गायन'और 'भारिया जनजातीय नृत्यों' की प्रस्तुतियाँसंग्रहालय सभागार में हुईं|कार्यक्रम की शुरुआत विभा शर्मा(भोपाल) नेअपने साथी कलाकारों के साथ 'निमाड़ी गायन'से की| जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम 'लेवो लेवोवासुदेव जी' गीत प्रस्तुत किया| इसके बादकलाकारों ने अपने कलात्मक गायन कौशल से'नन्द घर झुलरिया पालना' और 'छोरा नंदन कारंगी दीजो राधे जी' गीत प्रस्तुत कर सभागार मेंमौजूद श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया| इसकेबाद कलाकारों ने 'तुम तो आवजो हो रे अम्बा'और 'लाग्यो श्रावण मास' गीत श्रोताओं के समक्षप्रस्तुत किया|इसके पश्चात कलाकारों ने 'घाटी चढ़त हउँ हारीहो', 'नई आई होली दिवाली' और हिरण्याहिरण्या हो' गीतों पर 'गणगौर नृत्य' प्रस्तुतकिया| गणगौर निमाड़ का गीति काव्य है, चैत्रऔर वैशाख माह में नौ-नौ दिन चलने वाला यहअनुष्ठानिक पर्व बेटियों को समर्पित हैसामाजिक जीवन में  महत्ता बताने वाले इस पर्वका लोकाचार आज भी निमाड़ की भूमि औरसमुदायों के रोजमर्रा की जीवन शैली औरव्यव्हार में देखा जा सकता है| गीत-संगीत-नाट्य-नृत्य से पूरित यह पर्व विश्व का अनूठा पर्व है|निमाड़ के साथ ही गणगौर की परम्परा किसी नकिसी रूप में देश के अन्य राज्यों में भी विद्यमानहै| विशेषकर निमाड़ का कृषक समुदाय फसलकटने के बाद अच्छी पैदावार की ख़ुशी में गणअर्थात शिव और गौर अर्थात पार्वती को अपनेयहाँ आमंत्रित करता है और उनकी सेवा करताहै| यहाँ पार्वती को बेटी मानते हुए, शिव कोदामाद स्वरुप नवें दिन शिव अर्थात धणियरराजा, उन्हें लिवाने आते हैं| इस पर्व की विदाईका क्षण बेटी की ही विदाई की तरह होता है|गायन और नृत्य प्रस्तुति के दौरान गायन में विभाशर्मा का साथ मोनिका शुक्ला और दीवालीचांद्रायण ने, हारमोनियम पर जितेंद्र शर्मा ने,सिंथेसाइज़र पर लोकेश दुबे ने और ढोलक पररोहित ने दिया| प्रस्तुति के दौरान मंच पर श्रीदाशुक्ला, नित्या चौकसे, किंजल शर्मा, रियालोहानी, हेसिका चौहान, शब्द्रा, भव्य शिवहरेऔर वैदेही ने अपने नृत्य कौशल से दर्शकों कोमंत्रमुग्ध कर दिया| विभा शर्मा लम्बे समय सेगायन के क्षेत्र में सक्रीय हैं| विभा शर्मा ने गायनकी कई प्रस्तुतियाँ देश के विभिन्न कला मंचों परदी हैं| गणगौर नृत्य केबाद दिलीप कुमार(पातालकोट)ने अपने साथी कलाकारों के साथ 'भड़म नृत्य'प्रस्तुत किया| यह नृत्य शादी-विवाह के अवसरपर विशेष रूप से किया जाता है|यह नृत्यभारिया जनजाति के लोगों द्वारा किया जाता है|इस नृत्य प्रस्तुति में दिलीप कुमार का साथलगभग 14 कलाकारों ने दिया| नृत्य प्रस्तुति केदौरान मंच पर ढोल वादन और नृत्य में चौधरीप्रसाद, राजेश, देवलोक, सुकन सिंह, मथराप्रसाद, भान सिंह ने, टिमकी वादन और नृत्य मेंदिलीप चमलेश, राम दयाल, रघुनाथ, प्रह्लाद,बिसन, झाम सिंह और झालर वादन और नृत्य मेंबालचंद ने अपने कलात्मक नृत्य और वादनकौशल से सभागार में मौजूद दर्शकों मन मोहलिया|भड़म नृत्य के बाद अनसुईयाभारती(पातालकोट) ने अपने साथी कलाकारोंकेसाथ 'सैताम नृत्य'प्रस्तुत किया| यह नृत्य पर्व,त्योहारों और ख़ुशी के विशेष अवसरों पर कियाजाता है| इस नृत्य प्रस्तुति में अनसुईया भारतीका साथ लगभग 13 कलाकारों ने दिया| नृत्यप्रस्तुति के दौरान अनसुईया भारती, धनवती,निसा, नीतू, बुधवती, सीता, राजकुमारी, गौराऔर तारानी ने अपने नृत्य कौशल से दर्शकों कोमंत्रमुग्ध कर  दिया| प्रस्तुति के दौरान ढोल वादनमें बल सिंह ने, टिमकी वादन में संत कुमार ने,गायन में महारानी और सुष्मिता ने सहयोग किया|  


 






 

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